IAS Success Story, Ramesh Gholap: बचपन में ही हो गए थे पोलियो का शिकार, आर्थिक तंगी इतनी ज्यादा थी कि मां के साथ सडकों पर बेचनी पड़ी चूड़ियां. आईएएस ऑफिसर रमेश घोलप ने इन परिस्थितियों में कभी हार नहीं मानी और यूपीएससी क्रैक करके आईएएस बन गए. पढ़ें उनके सक्सेस की कहानी.

IAS Ramesh Gholap Success Story: देश की सभी कठिन मानी जाने वाली यूपीएससी सीएसई परीक्षा क्रैक करना सबके बस की बात नहीं होती. हर साल लाखों उम्मीदवार अपने आईएएस बनने के सपने को पूरा करने के लिए सिविल सर्विस एग्जामिनेशन में उपस्थित होते हैं, लेकिन उनमे से कुछ के ही सपने पुरे हो पाते हैं. आज आईएएस सक्सेस स्टोरी में हम बात करने जा रहे हैं ऐसे ही एक आईएएस ऑफिसर रमेश घोलप के बारे में जिन्होंने अपनी मुश्किलों को पीछे छोड़ कड़ी मेहनत की और सफलता हासिल कर लिया. अगर आपके इरादे मजबूत हों तो दुनियां की कोई ताकत उसे रोक नहीं सकती.
IAS Success Story: बचपन में ही हो गया था पोलियो
आईएएस ऑफिसर रमेश घोलप बचपन में ही पोलियो के शिकार हो गए थे. रमेश जब छोटे थे तब उनके बाएं पैर में पोलियो हो गया था और उनके घर में आर्थिक तंगी होने के वजह से उन्हें अपने मां के साथ सडकों पर चूड़ियां बेचनी पड़ती थी. रमेश ने अपने जीवन में मुश्किलों से हार नहीं मानी और अंत में अपना सपना साकार किया.
IAS Success Story: मां के साथ बेचनी पड़ी चूड़ियां
आईएएस रमेश घोलप का परिवार बहुत छोटा था, उनके परिवार में मात्र चार लोग थे. रमेश के पिता की एक छोटी सी साइकिल की दुकान थी, पिता के शराब पीने की गन्दी आदत ने पुरे परिवार को सड़क पर ला दिया. अधिक शराब पीने के वजह से एक दिन उनके पिता की तबियत अचानक से बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा. ऐसे हालात में अब घर और परिवार का पूरा भार रमेश की मां पर आ गया. गुजारा करने के लिए मां ने चूड़ियां बेचनी शुरू कर दी, बाएं पैर में पोलियो होने के बावजूद रमेश अपनी मां और भाई के साथ मिलकर चूड़ियां बेचा करते थे.
IAS Success Story: पिता के अंतिम संस्कार में जाने के लिए किराया तक नहीं था
आईएएस रमेश घोलप ने अपनी प्रारंभिक पढाई अपने गांव से ही पूरी की थी. इसके बाद आगे की पढाई के लिए वे अपने चाचा के घर बरसी चले गए. जब उनके पिता का निधन हुआ तब रमेश 12वीं में पढाई कर रहे थे. पिता के निधन की खबर मिलने के बाद रमेश का घर पहुंचना बेहद जरूरी था. चाचा के घर से अपने घर तक का किराया मात्र 7 रुपये ही लगता था और रमेश विकलांग थे तो उनके लिए मात्र 2 रुपये का किराया था. लेकिन आर्थिक स्थिति इतनी बुरी थी कि उनके पास किराया देने के लिए 2 रुपये तक नहीं थे.
IAS Success Story: घर की जिम्मेदारी में सहयोग के लिए बने शिक्षक
12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद घर की जिम्मेदारी में हाथ बटाने के लिए एक डिप्लोमा किया और गांव में ही शिक्षक के तौर पर पढ़ाना शुरू कर दिया. पढ़ाने के साथ साथ उन्होंने बीए की डिग्री भी पूरी कर ली.

IAS Success Story: यूपीएससी की तैयारी के लिए लेना पड़ा उधार
यूपीएससी की तैयारी करने के लिए रमेश ने 6 महीने के लिए अपनी नौकरी भी छोड़ दी और पूरी मेहनत से तैयारी में लग गए. उन्होंने 2010 में पहली बार यूपीएससी का प्रयास किया लेकिन इसमें वे सफल नहीं हो पाए. इसके बाद उनकी मां ने गांव वालों से कुछ पैसे उधार लेकर रमेश को पढाई के लिए बाहर भेज दिया.
IAS Success Story: बिना कोचिंग क्रैक कर ली यूपीएससी की परीक्षा
पुणे जाने के बाद रमेश ने बिना कोचिंग के यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. कड़ी मेहनत, लगन और परिश्रम के बाद आखिरकार उन्होंने 2012 में सिविल सर्विस परीक्षा क्रैक कर ली. 287 रैंक हासिल करके विकलांग कोटा के तहत रमेश घोलप आईएएस ऑफिसर बन गए.
IAS रमेश घोलप की प्रेरणादायक यात्रा: पोलियो से जूझते हुए आईएएस बनना
IAS रमेश घोलप की कहानी जीवन की चुनौतियों को पार करने में दृढ़ संकल्प और लचीलेपन की शक्ति का एक उदाहरण है. बचपन से ही विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए, उन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की और देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक क्रैक की.
पोलियो से जूझते बचपन
रमेश घोलप को बचपन में ही पोलियो हो गया था, जिससे उनका बाएं पैर पूरी तरह से विकलांग हो गया. आर्थिक रूप से कमजोर परिवार में पलते हुए, उन्हें और उनकी मां को सड़कों पर चूड़ियां बेचकर अपना गुजारा करना पड़ता था. इन कठिनाइयों के बावजूद, रमेश ने अपने लक्ष्यों को कभी नहीं छोड़ा और अपने सपनों की ओर बढ़ते रहे.
परिवारिक जिम्मेदारियां और दृढ़ता
रमेश के परिवार में केवल चार सदस्य थे, जिनमें उनके पिता भी शामिल थे जिनकी एक छोटी सी साइकिल की दुकान थी. हालांकि, उनके पिता की शराब की लत ने परिवार पर भारी असर डाला, जिससे वे सड़कों पर आ गए. रमेश, अपनी मां और भाई के साथ, अपनी विकलांगता के बावजूद, चूड़ियां बेचते रहे, अपने परिवार का समर्थन करने और अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए दृढ़ संकल्प के साथ.

आर्थिक बाधाओं पर विजय
जब रमेश 12वीं कक्षा में थे, उनके पिता का निधन हो गया, जिससे परिवार को और अधिक आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा. उन्हें अपने चाचा के घर से अपने घर तक आने के लिए 7 रुपये का किराया भी नहीं था, जब उनके पिता का अंतिम संस्कार होना था. इससे रमेश को हिम्मत नहीं छूटी, उन्होंने कड़ी मेहनत जारी रखी और अपने परिवार का समर्थन किया.
People also search for
IAS रमेश घोलप की शैक्षणिक योग्यता क्या है?
एड (डिप्लोमा इन एजुकेशन) अच्छे अंक लाने के बावजूद इसलिए क्योंकि यह सबसे सस्ता कोर्स था जो उन्हें मिल सकता था। वह एक शिक्षक के रूप में नौकरी भी पा सकते थे और अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकते थे। इस डिग्री के साथ-साथ उन्होंने दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से कला में डिग्री भी हासिल की।
रमेश घोलप, आईएएस कौन हैं?
आईएएस टॉपर की कहानी – रमेश घोलप की पृष्ठभूमि। साइकिल मरम्मत की दुकान के मालिक के बेटे, रमेश महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के महागांव नामक एक छोटे से गांव से हैं। अपने पिता के स्वास्थ्य के कारण आजीविका कमाने में असमर्थ होने के बाद, उनकी माँ विमल ने चूड़ियाँ बेचकर अपना गुजारा करना शुरू कर दिया।