लखनऊ (एनबीटी):
उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा वर्ष 2018 में शुरू की गई सहायक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय आया है। हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार और बेसिक शिक्षा परिषद को आदेश दिया है कि वे 27,713 सहायक शिक्षक पदों के लिए आयोजित होने वाली सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा (ATRE) को संपन्न कराने के लिए तुरंत कदम उठाएं। इस मामले में कोर्ट ने दो माह के भीतर परीक्षा के संबंध में निर्णय लेने के निर्देश दिए हैं।
2018 Teacher Bharti Big News: कोर्ट का निर्देश: दो माह में परीक्षा पर लें निर्णय
लखनऊ हाई कोर्ट की खंडपीठ, जिसमें न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला शामिल थे, ने यह निर्देश दिया। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि यदि किसी कानूनी बाधा के कारण परीक्षा का आयोजन नहीं हो पाता है, तो इसकी विस्तृत जानकारी अखबारों में प्रकाशित की जानी चाहिए। कोर्ट ने सरकार को निर्देशित किया है कि वह बिना किसी देरी के परीक्षा के आयोजन के लिए आवश्यक कदम उठाए और यह सुनिश्चित करे कि इस प्रक्रिया में कोई कानूनी अड़चन न आए।
2018 Teacher Bharti Big News: अभ्यर्थियों के लिए बड़ी राहत: उम्र सीमा में मिलेगी छूट?
इसके साथ ही, कोर्ट ने उन अभ्यर्थियों की अपील पर भी विचार करने को कहा है, जो अधिकतम उम्र सीमा को पार कर चुके हैं। कोर्ट ने सुझाव दिया कि ऐसे अभ्यर्थियों को अधिकतम उम्र सीमा में छूट देने पर विचार किया जाए, ताकि वे भी इस भर्ती प्रक्रिया का हिस्सा बन सकें। यह फैसला उन अभ्यर्थियों के लिए बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है, जिन्होंने वर्ष 2018 में इस भर्ती प्रक्रिया के लिए आवेदन किया था, लेकिन उम्र सीमा के कारण अयोग्य हो गए थे।
2018 Teacher Bharti Big News: कानूनी प्रक्रिया का पुनः परीक्षण: वर्ष 2018 के आदेश का विवाद
हाई कोर्ट में यह मामला उस समय उठाया गया, जब एकल पीठ द्वारा 21 मई 2018 को जारी आदेश के खिलाफ अपीलें दाखिल की गईं। 2018 के इस आदेश में सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा (ATRE) के लिए सामान्य वर्ग के लिए न्यूनतम अंकों की सीमा 45 और आरक्षित वर्ग के लिए 40 अंकों पर बरकरार रखी गई थी। हालांकि, 21 मई 2018 के शासनादेश में इन अंकों को क्रमशः 33 और 30 कर दिया गया था।
2018 Teacher Bharti Big News: 2018 की परीक्षा में कम हुए सफल अभ्यर्थी
वर्ष 2018 में आयोजित ATRE परीक्षा के परिणामस्वरूप केवल 41,556 अभ्यर्थी ही सफल हो पाए थे, जबकि 69,000 पदों के लिए यह परीक्षा आयोजित की गई थी। इससे यह स्पष्ट हुआ कि 27,713 पद अब भी रिक्त हैं, जिनके लिए अब तक कोई परीक्षा नहीं करवाई गई। यह मामला हाई कोर्ट के सामने आने पर कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सरकार और बेसिक शिक्षा परिषद को इस संदर्भ में उचित कदम उठाने चाहिए ताकि शेष पदों के लिए भी योग्य उम्मीदवारों का चयन हो सके।

2018 Teacher Bharti Big News: सरकार के लिए चुनौतियां: परीक्षा आयोजन में कानूनी बाधाएं
हालांकि, सरकार और बेसिक शिक्षा परिषद के सामने इस परीक्षा के आयोजन में कई चुनौतियां हो सकती हैं। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया है कि यदि कोई कानूनी बाधा उत्पन्न होती है, तो उसकी विस्तृत जानकारी अखबारों के माध्यम से सार्वजनिक की जानी चाहिए। इससे अभ्यर्थियों और जनता के बीच पारदर्शिता बनी रहेगी और उन्हें परीक्षा से संबंधित सभी जानकारी समय पर मिल सकेगी।
2018 Teacher Bharti Big News: न्यायिक प्रक्रिया का महत्वपूर्ण कदम: HC का आदेश
हाई कोर्ट का यह निर्णय उन अभ्यर्थियों के लिए महत्वपूर्ण है, जिन्होंने सहायक शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन किया था और जिनकी नियुक्ति अब तक नहीं हो पाई थी। कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि शेष पदों के लिए भी योग्य अभ्यर्थियों का चयन किया जाए और इस प्रक्रिया में कोई भी उम्मीदवार न्याय से वंचित न रह जाए।
2018 Teacher Bharti Big News: आगे का रास्ता: सरकार और बेसिक शिक्षा परिषद की जिम्मेदारी
अब इस मामले में सरकार और बेसिक शिक्षा परिषद पर जिम्मेदारी है कि वे कोर्ट के निर्देशों का पालन करें और जल्द से जल्द परीक्षा का आयोजन करें। साथ ही, यह सुनिश्चित करें कि परीक्षा प्रक्रिया में किसी प्रकार की कानूनी अड़चन न आए और सभी योग्य उम्मीदवारों को परीक्षा में शामिल होने का मौका मिले।
2018 Teacher Bharti Big News: अभ्यर्थियों की उम्मीदों का समाधान
हाई कोर्ट के इस आदेश से उन हजारों अभ्यर्थियों को उम्मीद की एक नई किरण मिली है, जो वर्ष 2018 से इस भर्ती प्रक्रिया के पूरा होने का इंतजार कर रहे थे। अब सभी की निगाहें सरकार और बेसिक शिक्षा परिषद पर हैं कि वे कैसे और कब इस आदेश का पालन करते हैं और शेष पदों के लिए योग्य अभ्यर्थियों का चयन करते हैं।
इस निर्णय से न केवल न्यायिक प्रक्रिया की महत्ता स्पष्ट होती है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सरकार को समय पर और उचित कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि योग्य उम्मीदवारों को न्याय मिल सके। अब देखना यह है कि सरकार और बेसिक शिक्षा परिषद इस मामले में किस प्रकार से आगे बढ़ते हैं और अभ्यर्थियों की उम्मीदों को पूरा करते हैं।