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स्वास्थ्यकर्मियों के धरने से प्रभावित हुई उपकेंद्रों की सेवाएं:Amar ujala

लखनऊ: राजधानी के ईको गार्डन में चार दिन से सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (CHOs) का धरना चल रहा है। उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए ये स्वास्थ्यकर्मी अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसके चलते राज्य के आयुष्मान आरोग्य मंदिर (Aayushman Arogya Mandir) में दी जाने वाली स्वास्थ्य सेवाएं (Swasthya Seva) बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। CHO का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

चार दिनों से जारी धरना, स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित

राज्य के लगभग 10 हजार से अधिक CHO पिछले चार दिनों से लखनऊ के ईको गार्डन (Eco Garden) में धरना दे रहे हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत कार्यरत इन स्वास्थ्यकर्मियों की प्रमुख मांगें हैं कि उन्हें मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे अन्य राज्यों में मिलने वाली सुविधाएं दी जाएं, एनएचएम के कार्मिकों को 10 साल बाद नियमित किया जाए, और समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए।

इस धरने के कारण राज्य के विभिन्न आयुष्मान आरोग्य मंदिरों (Aayushman Arogya Mandir Services) में उपचार सेवाओं पर बुरा असर पड़ा है। सामान्यत: इन केंद्रों पर रोजाना हजारों मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाती हैं, लेकिन CHO की अनुपस्थिति में इन सेवाओं में व्यवधान आ गया है।

बेहोश हुई महिला CHO, धरना स्थल पर हड़कंप

धरने के दौरान एक अप्रिय घटना भी घटित हुई, जब CHO अंजलि यादव की तबीयत बिगड़ गई और वह बेहोश हो गईं। इस घटना के बाद धरना स्थल पर कुछ समय के लिए अफरा-तफरी का माहौल हो गया। कई महिला CHO इस स्थिति से भावुक होकर रो पड़ीं। बेहोश अंजलि यादव को तुरंत पास के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत में सुधार बताया गया है।

आयुष्मान आरोग्य मंदिरों की स्थिति

उत्तर प्रदेश में लगभग 25 हजार आयुष्मान आरोग्य मंदिर हैं, जिनमें करीब 17 हजार CHO कार्यरत हैं। इन आरोग्य मंदिरों में मरीजों को 14 प्रकार की जांच और 58 तरह की दवाएं मुफ्त में उपलब्ध कराई जाती हैं। रोजाना 10 हजार से अधिक मरीज इन केंद्रों पर इलाज के लिए आते हैं। लेकिन CHO के धरने के कारण इन सेवाओं में गिरावट आई है।

मांगों पर अड़े CHO, मिशन निदेशक से वार्ता

CHO अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं। उनकी प्रमुख मांगों में स्थानांतरण नीति में सुधार, कैडर बनाने, और एनएचएम के कर्मचारियों के लिए स्थायी नियुक्ति की व्यवस्था शामिल हैं। इस मुद्दे पर मिशन निदेशक ने CHO से वार्ता की और उनकी मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया। लेकिन CHO का कहना है कि जब तक आदेश जारी नहीं होते, तब तक वे धरना समाप्त नहीं करेंगे।

ईको गार्डन में हर दिन विभिन्न जिलों से CHO आ रहे हैं, जो धरना स्थल पर जुटकर अपने हक की आवाज उठा रहे हैं। हालांकि, इस धरने का सीधा असर राज्य की जनता पर पड़ रहा है, जिन्हें आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में मिलने वाली उपचार संबंधी सेवाओं में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

समाधान की दिशा में प्रयास

धरने की स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग इस मामले का शीघ्र समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं। यह देखा जा रहा है कि यदि जल्द ही कोई समाधान नहीं निकला, तो स्वास्थ्य सेवाओं (Swasthya Seva Prabhavit) पर और गंभीर असर पड़ सकता है।

स्वास्थ्य विभाग ने CHO की मांगों पर विचार करने के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है, जिसमें उनकी समस्याओं का हल निकाले जाने की संभावना है। हालांकि, धरने पर बैठे CHO का कहना है कि वे केवल आश्वासनों से संतुष्ट नहीं होंगे, बल्कि उन्हें ठोस कार्रवाई चाहिए।

लखनऊ के ईको गार्डन (Eco Garden) में CHO के धरने ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं (Swasthya Seva) पर गहरा असर डाला है। इन सेवाओं के प्रभावित होने से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के कई लोग चिकित्सा सुविधाओं से वंचित हो रहे हैं। इस स्थिति का समाधान निकालने के लिए राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग को शीघ्र ही कदम उठाने की आवश्यकता है। जब तक CHO की मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक यह धरना जारी रहने की संभावना है, जो कि राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा कर सकती है।


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