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सुप्रीम कोर्ट की रोक: 69,000 शिक्षक भर्ती में नया मोड़, जानें पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने 69,000 शिक्षक भर्ती पर हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक: सरकार को मिली राहत

नई दिल्ली, विशेष संवाददाता: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार को 69 हजार सहायक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए नये सिरे से मेधा सूची तैयार करने का आदेश दिया गया था। यह निर्णय शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण नियमों के अनुपालन पर सवाल उठाने के बाद हाईकोर्ट द्वारा दिया गया था। इस मामले में अब 23 सितंबर के बाद अंतिम सुनवाई होगी। आइए इस मामले को विस्तार से समझते हैं।


69,000 शिक्षक भर्ती मामला: पृष्ठभूमि

यह मामला उत्तर प्रदेश में सहायक शिक्षकों की 69,000 पदों पर भर्ती से जुड़ा है। 2019 में उत्तर प्रदेश सरकार ने इस भर्ती परीक्षा का आयोजन किया था, जिसमें लाखों उम्मीदवारों ने भाग लिया था। 2020 और 2022 में दो बार मेधा सूची जारी की गई, लेकिन इसके बाद इस पर विवाद खड़ा हो गया।

आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों ने आरोप लगाया कि इस भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण नियमों का सही से पालन नहीं किया गया है। जिसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अगस्त 2023 में यह आदेश दिया कि सरकार को नये सिरे से मेधा सूची तैयार करनी चाहिए।


हाईकोर्ट का फैसला

आरक्षण नियमों का पालन न होने का आरोप: हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि शिक्षक भर्ती में आरक्षण नियमों का पालन नहीं किया गया है। अदालत ने जून 2020 और जनवरी 2022 में जारी की गई चयन सूची को रद्द कर दिया और सरकार को निर्देश दिया कि वह आरक्षण नियमावली-1981 और 1994 का पालन करते हुए नई मेधा सूची तैयार करे।

आरक्षित और अनारक्षित वर्ग का विवाद: इस विवाद का एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी था कि हाईकोर्ट ने कहा कि यदि कोई आरक्षित श्रेणी का अभ्यर्थी सामान्य श्रेणी के बराबर अंक प्राप्त करता है, तो उसे सामान्य श्रेणी में माना जाना चाहिए। यह मामला आरक्षित और अनारक्षित वर्ग के बीच संतुलन को लेकर उठ खड़ा हुआ।


सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप

सुप्रीम कोर्ट की अंतरिम रोक: हाईकोर्ट के इस फैसले को चुनौती देने के लिए 52 उम्मीदवारों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने इस पर संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी।

सरकार और बेसिक शिक्षा बोर्ड को नोटिस: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और राज्य बेसिक शिक्षा बोर्ड के सचिव को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि मामले की अंतिम सुनवाई 23 सितंबर से शुरू होने वाले सप्ताह में की जाएगी।


सरकार की प्रतिक्रिया

सरकार को राहत: सुप्रीम कोर्ट के इस अंतरिम आदेश से उत्तर प्रदेश सरकार को बड़ी राहत मिली है। सरकार के प्रवक्ताओं ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले पर रोक के बाद अब सरकार के पास इस मुद्दे का समाधान निकालने के लिए अधिक समय मिल गया है। बेसिक शिक्षा विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि वे मामले का गहन परीक्षण करें और एक सर्वमान्य फार्मूला तैयार करें ताकि आरक्षित और अनारक्षित वर्ग, दोनों के हितों की रक्षा हो सके।


आरक्षण विवाद का विस्तार

ओबीसी और एससी/एसटी वर्ग की शिकायतें: इस मामले में विशेष रूप से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) वर्ग के उम्मीदवारों ने शिकायत की थी कि उन्हें उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। उम्मीदवारों का तर्क था कि सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों को अनारक्षित श्रेणी में आरक्षण का लाभ देकर उनके हक को छीन लिया गया।

आरक्षित वर्ग का सामान्य श्रेणी में चयन: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि यदि आरक्षित वर्ग का कोई उम्मीदवार सामान्य श्रेणी के बराबर अंक प्राप्त करता है, तो उसे सामान्य श्रेणी में माना जाना चाहिए। इससे अनारक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों में असंतोष फैल गया था।


सरकार के सामने चुनौती

इस मामले में अब सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह एक ऐसा फार्मूला तैयार करे जो आरक्षित और अनारक्षित वर्ग दोनों के उम्मीदवारों के साथ न्याय करे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने सरकार को समय जरूर दिया है, लेकिन यह मसला अभी भी जटिल बना हुआ है।

शिक्षक संघों की मांग: कई शिक्षक संघों ने मांग की है कि सरकार इस मुद्दे का जल्द से जल्द समाधान निकाले ताकि शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में हो रहे विलंब से स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था प्रभावित न हो।


अदालत में सुनवाई का भविष्य

23 सितंबर को अंतिम सुनवाई: सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों से अधिकतम 7 पन्नों का संक्षिप्त नोट दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत 23 सितंबर से शुरू हो रहे सप्ताह में मामले की अंतिम सुनवाई करेगी। इस सुनवाई के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती किस प्रकार होगी और क्या नई मेधा सूची तैयार की जाएगी या नहीं।


निष्कर्ष

69,000 शिक्षक भर्ती का यह मामला उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला न केवल भर्ती प्रक्रिया पर प्रभाव डालेगा, बल्कि राज्य के शिक्षा क्षेत्र के लिए एक नजीर भी बनेगा। वर्तमान में सरकार और उम्मीदवार दोनों ही सुप्रीम कोर्ट के अंतिम आदेश का इंतजार कर रहे हैं।


Sources:

  1. सुप्रीम कोर्ट आदेश की प्रति
  2. इलाहाबाद हाईकोर्ट का निर्णय
  3. उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग के आधिकारिक आंकड़े
  4. विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित रिपोर्ट
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