Supreme Court sought details of irregularities from Center and NTA, said…
The extent of NEET paper leak will decide whether re-examination is necessary or not.
अमर उजाला ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि नीट-यूजी की पवित्रता प्रभावित हुई है। हमें यह निर्धारित करना होगा कि परीक्षा किस सीमा तक प्रभावित हुई, ताकि यह तय किया जा सके कि दोबारा परीक्षा की आवश्यकता है या नहीं। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार और एनटीए से प्रश्नपत्र लीक की प्रकृति और अनियमितता से लाभान्वित परीक्षार्थियों की पहचान के लिए उठाए गए कदमों का ब्योरा मांगा। अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने सोमवार को कहा, यह स्पष्ट है कि प्रश्नपत्र लीक हुआ है। लीक की प्रकृति कैसी है, यह हम देख रहे हैं और यदि यह व्यापक नहीं है तो परीक्षा रद्द नहीं होगी। दोबारा परीक्षा का आदेश देने से पहले हमें इसके प्रति सचेत रहना होगा कि पेपर लीक किस पैमाने पर हुआ है, क्योंकि हमें 23 लाख विद्यार्थियों के हितों का ख्याल रखना है। इसमें यात्रा, शैक्षणिक कार्यक्रम को अव्यवस्थित करना शामिल है।
पीठ ने कहा कि हमें यह देखना है कि प्रश्नपत्र लीक कैसे हुआ, प्रश्नपत्र लीक होने और 5 मई को वास्तविक परीक्षा के समय के बीच कितना अंतर था, लीक प्रश्नपत्र का प्रसार कितना रहा और लीक प्रश्नपत्र के लाभार्थी छात्रों की पहचान करने के लिए क्या कार्रवाई की गई है। अगर प्रश्नपत्र लीक टेलीग्राम, व्हाट्सएप और इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से हुआ है ।
दोबारा परीक्षा के लिए तीन मापदंड किए तय
शीर्ष अदालत ने तीन मापदंड निर्धारित किए हैं जिनके आधार पर तय किया जाएगा कि फिर से परीक्षा की जरूरत है या नहीं। पहला... क्या कथित उल्लंघन प्रणालीगत स्तर पर हुआ था? दूसरा... क्या उल्लंघन की प्रकृति ऐसी है जो पूरी परीक्षा प्रक्रिया की शुचिता को प्रभावित करती है। तीसरा... क्या धोखाधड़ी के लाभार्थियों को बेदाग छात्रों से अलग करना संभव है? पीठ ने स्पष्ट किया कि अगर पवित्रता का उल्लंघन परीक्षा की संपूर्णता को प्रभावित करता है और यदि लाभार्थी छात्रों को अलग करना संभव नहीं है, तो फिर से परीक्षा की जरूरत होगी। पर, से परीक्षा की जरूरत नहीं होगी, लाभार्थियों की अगर पहचान की जाती है, तो फिर क्योंकि इसमें बड़ी संख्या में छात्र शामिल हैं।
केंद्र, एनटीए से इन बातों पर विचार करने को कहा
ऐसे विद्यार्थियों की संख्या अभूतपूर्व रूप से अधिक है जिन्होंने पूर्णांक (720/720) मिले। उनमें से कितने कृपांक के लाभार्थी हैं?
■ वैसे विद्यार्थी जिन्होंने एक केंद्र पर पंजीकरण कराया और केंद्र बदलकर परीक्षा दी और उच्च अंक प्राप्त किए।
■वैसे विद्यार्थी जिन्होंने नीट में असाधारण रूप से उच्च अंक प्राप्त किए, पर जिनका प्रदर्शन उनकी 12वीं की परीक्षा में परिलक्षित नहीं हुआ। हालांकि पीठ ने माना कि छात्र बोर्ड परीक्षाओं के लिए भी उतनी मेहनत नहीं भी कर सकते हैं।
■ वैसे विद्यार्थी जिन्होंने एक विषय में असाधारण रूप से अधिक अंक प्राप्त किए लेकिन दूसरे विषय में बेहद कम अंक हासिल कर पाए।